kanchan singla

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सुभाष चंद्र बोस जी को नमन

है रगो में बहता खून जो

कतरा कतरा बह जाने दो
भारत मां की लाज बचाने को
वीर जवानों को जुड़ जाने दो 
एक एक आहुति खून की देकर
आजादी की कीमत चुकानी है
जननी की रक्षा हेतू
प्राणों की बलि चढ़ानी है।।

बार बार एक ही लफ्ज़ उनका
नारा बनकर गुंजा करता था 
तुम मुझे खून दो 
मैं तुम्हें आजादी दूंगा 
जिसका संदर्भ बस इतना था
एकत्र होने को वो कहते थे
जुड़कर लड़ने को कहते थे
दुश्मन थर थर कांपा करते थे
सुनकर गूंज उनके नारो की
देख उठती आजादी की लहर
सब गोरे भयभीत दिखते थे
बंदी बनाने को उनको
हर रोज षड्यंत्र करते थे।।

वो सच्चे वीर थे
वो सच्चे सैनिक थे
जो बोला करते थे
कर दिखाया उन्होंने था
आजादी का पहला ध्वज
फहराया उन्होंने ही था
पोर्टब्लेयर से अंडमान निकोबार तक
अंग्रेजो को मार भगाया था 
हर भारतीय के दिलो में 
गहरी उम्मीदों को जगाया था
आजाद हिन्द फौज को उन्होंने ही
पूरे देश में फैलाया था ।।

सुभाष चंद्र बोस
तुम मुझे खून दो
मैं तुम्हें आजादी दूंगा।।

लेखिका - कंचन सिंगला

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3 Comments

Renu

24-Jan-2023 03:01 PM

👍👍🌺

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madhura

24-Jan-2023 10:58 AM

very nice poem

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Abhinav ji

24-Jan-2023 08:08 AM

Very nice 👌

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